*"जागृति से ही बनेगी शक्ति "* आपरेशन जागृति 2.O के तहत जनपदीय पुलिस द्वारा अपने-अपने थाना क्षेत्रों में चलाया गया ऑपरेशन जागृति अभियान, गोष्ठी आयोजित कर आमजन को किया गया जागरूक

 


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*विशन पाल सिंह चौहान (प्रधान संपादक) अलार्म इण्डिया न्यूज*

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एटा। अपर पुलिस महानिदेशक आगरा जोन आगरा महोदया श्रीमती अनुपम कुलश्रेष्ठ के निर्देशन में महिलाओं एवं बालिकाओं के जागरूकता व स्वावलंबन एवं उनके प्रति होने वाले अपराधों में कमी लाने हेतु चलाए जा रहे "ऑपरेशन जागृति 2.0" अभियान के तहत आज दिनांक 30.06.2024 को थाना कोतवाली नगर के मौ0 मारहरा दरवाजा व श्यामविहार कालोनी, थाना कोतवाली देहात के ग्राम मजगुजिया व ग्राम जिरसमी, थाना बागवाला के ग्राम सरजनपुर व ग्राम नंगला देशी, थाना मारहरा ग्राम मुउद्दीनपुर व ग्राम मुहारा मोहकमपुर, थाना मिरहची ग्राम सिंधावली व ग्राम घिर्रामई, थाना पिलुआ ग्राम भुपालपुर व ग्राम बरगमा, थाना सकीट ग्राम मौ0 खरा कस्बा सकीट व ग्राम मुबारिक पुर निवरूआ, थाना मलावन ग्राम आसपुर व ग्राम कुवेरपुर नगरिया, थाना रिजोर ग्राम टीकमपुर व ग्राम मनसुखपुर, थाना जलेसर ग्राम नबीपुर व ग्राम नंगला सुखदेव, थाना अवागढ ग्राम गदेशरा व ग्राम नंगला गलुआ, थाना निधौली कला ग्राम मितरौल व ग्राम सहबाजपुर, थाना सकरौली के ग्राम पखाबन व ग्राम पायदापुर, थाना अलीगंज ग्राम जहांगीरपुर व ग्राम तिसौरी, थाना जैथरा ग्राम दतौली व ग्राम नंगला धनु, थाना राजा का रामपुर ग्राम टिकैतपुरा व नंगला कर्ण, थाना नयागांव ग्राम सराय अहगत व ग्राम रजपुरा, थाना जसरथपुर ग्राम महाराजपुर व ग्राम ढटिगरा में गोष्ठी आयोजित कर, महिलाओं एवं बालिकाओं, छात्र एवं छात्राओं तथा क्षेत्र के गणमान्य लोगों से संवाद स्थापित कर उनको जागरूक किया गया। साथ ही गोष्ठी में प्रतिभाग करने वाले लोगों से फीडबैक भी लिया गया।



अभियान के दौरान बताया गया है अक्सर पारिवारिक विवाद / पारस्परिक भूमि विवाद का यथोचित समाधान नहीं दिखने पर अपराधिक घटनाओं में महिला सम्बन्धी अपराधों को जोड़ने की प्रवृत्ति भी सामाजिक रूप से देखने को मिल रही है। संक्षेप में कई अन्य प्रकरणों में ऐसी घटनायें दर्ज करा दी जाती हैं, जिनको बाद महिला एवं बालिकाओं संबन्धी अपराधों की श्रेणी में परिवर्तित कर दिया जाता है। जबकि मूलतः यह पारिवारिक और भूमि विवाद संबन्धी होती है।


दूसरी ओर वास्तविक रूप से महिलाओं एवं बालिकाओं के विरूद्ध जो अपराध होते हैं, उनमें दुष्कर्म, शीलभंग जैसे संगीन मामलों में प्रताड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं की मनोस्थिति काफी हद तक प्रभावित होती है और पीड़िता के जीवन में उस घटना का ट्रॉमा और भय सदैव के लिए बस जाता है। उक्त मानसिक आघात से उभरने के लिए पीड़िता को मनोवैज्ञानिक परामर्श की भी आवश्यकता होती है।

 

एक अन्य प्रकार का ट्रेंड जो सामने आ रहा है, उसमें नाबालिग बालिकाएं लव अफेयर, इलोपमेंट, लिव इन रिलेशनशिप जैसे सेनेरियो में फँस जाती हैं और किन्ही कारणों से उनको समझौता करना पड़ता है। कई बार बालिकायें अपनी सहमति से भी बिना सोचे समझे चली जाती है। साथ ही साथ बदनामी के भय से ऐसा संत्रास झेलना पड़ता है, जिसके कारण वह ऐसी स्थिति से निकलने में अपने आपको अक्षम महसूस करती है। परिवार में आपसी संवादहीनता और अभिभावकों से डर के कारण बालिकाए अपनी बात कह नहीं पाती है। इसके अतिरिक्त आज तकनीक के दुरूपयोग के चलते महिलाओं एवं बालिकाओं के प्रति साइबर बुलिंग के मामले भी सामने आ रहे है। इन सभी परिस्थितियों में सामाजिक जागरूकता, संवाद शिक्षा और परामर्श की बेहद आवश्यकता है ताकि महिलायें एवं बालिकायें इस प्रकार के षड़यंत्रों का शिकार न बने भावनाओं में बहकर अपना जीवन बर्बाद न करें, यदि उनके साथ किसी प्रकार का अपराध घटित होता है तो वह सच बोलने की हिम्मत रख पाये और विधिक कार्यवाही के साथ-साथ उनको परामर्श/सहयोग और पुनर्वास का मौका मिल सके।

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