धरती से खत्म हो सकते हैं इंसान! दुनियाभर में बढ़ती गर्मी बनेगी एक बड़ी बीमारी की वजह, वैज्ञानिक ने बताया खतरा



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*अलार्म इण्डिया न्यूज*

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एक मॉलीक्यूलर माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने इंसानों के लिए एक ऐसे खतरे की भविष्यवाणी की है जो धरती से समूची मानव जाति का अस्तित्व को मिटा सकता है। वैज्ञानिक ने कहा है कि धरती पर आखिरी इंसान केवल फिल्मों और टीवी सीरीज की बात नहीं है। ये असल में भी हो सकता है।


*फंगस बन सकता है मानव जाति के लिए खतरा*


*वैज्ञानिक ने दी मानव जाति के खात्मे की चेतावनी*


*फंगस ला सकता है इंसानों को खत्म करने वाली बीमारी*


*धरती पर बढ़ता तापमान फंगस में म्यूटेशन पैदा कर सकता है*


वाशिंगटन। एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने ऐसी आपदा की चेतावनी दी है जो मानव जाति का अस्तित्व धरती से खत्म कर सकती है। आणविक माइक्रोबायोलॉजी, इम्यूनोलॉजी और संक्रामक रोगों के प्रोफेसर आर्टुरो कैसाडेवाल के अनुसार, धरती पर आखिरी इंसान कोई कल्पना भर नहीं है, बल्कि यह असल में हो सकता है। उन्होंने बताया कि फफूंद एक महामारी ला सकता है और यह मानव जाति को मिटा सकता है। अमेरिका के बाल्टीमोर में जॉन्स हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में काम करने वाले 67 वर्षीय प्रोफेसर कैसाडेवाल ने कहा, फफूंद मानवता के लिए एक वास्तविक खतरा हैं।


जॉम्बी में बदल सकता है इंसान

लगभग 1000 वैज्ञानिक शोधपत्र लिख चुके प्रोफेसर कैसाडेवाल की पिछले महीने एक नई किताब प्रकाशित हुई है, जिसका नाम है व्हाट इफ फंगी विन? इस किताब में फंगस के कारण महामारी होने की वास्तविक संभावना पर प्रकाश डाला गया है। उन्होंने कहा, धरती पर आखिरी इंसान जैसा दृश्य असंभव नहीं है। हालांकि, अभी हम किसी ऐसे फंगस के बारे में नहीं जानते हैं जो किसी इंसान को जॉम्बी में बदल सकता है।

  

तापमान बढ़ने से हर चीज पर असर

डेली स्टार ने अपनी रिपोर्ट में प्रोफेसर कैसाडेवाल के हवाले से कहा कि इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि हम समय के साथ खतरनाक नए फंगसों को देख सकते हैं। ऐसा पहले भी हो चुका है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण फफूंद मानव जाति के लिए नई बीमारियां लेकर आ सकता है। तापमान बढ़ने से हमारे पर्यावरण में हर चीज प्रभावित हो रही है।


प्रोफेसर ने दावा किया कि इस बात के बढ़ते प्रमाण हैं कि कुछ फफूंदों में नई बीमारियों फैलाने की क्षमता है जो अभूतपूर्व तरीके से इंसानों को नुकसान पहुंचाएंगी। उन्होंने कहा कि अगर फंगस उच्च तापमान में पलने के अनुकूल हो जाता है तो यह हमारी सुरक्षा को तोड़ देगा। यही सबसे बड़ा डर है। फंगस में म्यूटेशन के सबूत पहले से ही मौजूद हैं। साल 2007 में जापान में एक व्यक्ति के कान में कैंडिया ऑरिस नाम का फंगस पाया गया था। 2007 के पहले तक यह वैज्ञानिकों के लिए अज्ञात था। (साभार नभाटा)

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