हाथरस का हादसा हजारों की भीड़ - कलेजा चीर देने वाली सैंकडों बेकसूरों की मौतें - दोषी कौन जिम्मेदारी किसकी!



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*विशन पाल सिंह चौहान (प्रधान संपादक) अलार्म इण्डिया न्यूज*

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जनपद हाथरस के सिकंदरा राऊ से एटा जाने वाले हाईवे पर रतीभानपुर के नजदीक फुलरई गांव में तथाकथित भोले बाबा के सत्संग में हुई भगदड़ में सैकड़ों मौते होने का जिम्मेदार तो कोई होगा। क्योंकि महज भीड़ और अनुयायी होने से किसी को घटना घटित करने लिए आयोजन की छूट नहीं दी जाती है। आयोजन से पूर्व संबंधित अधिकारी आयोजकों से संभावित भीड़ की संख्या का उल्लेख परमीशन में अवश्य ही करते हैं। और उसी हिसाब से जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी का निर्वहन किया जाता है।


*मीडिया कर्मियों की कवरेज घटना के वजाह तालाब में मगरमच्छ ढूंढने तक समिट कर रहगई*


भोले बाबा के सत्संग में अनियंत्रित भीड़ से कुचलकर सैकड़ो लोगों की मौत होने की घटना पर कुछ मीडिया के लोगों को यह दिलचस्पी रही कि आखिर बाबा ने नौकरी क्या की... किस नौकरी से त्यागपत्र दिया... किस विभाग में काम करते थे.... बाबा आखिर बाबा कैसे बना... पूरे दिन इस घटना की असल वज़ह से दूर भाग कर उत्तर प्रदेश के बड़े मीडिया संस्थान इस बात पर जोर देते दिखे कि आखिर बाबा किस नौकरी में था... मूल मुद्दा यह नहीं था की बाबा कौन था। क्या करता था। असली कारण तो हादसे में हुई मौतों की वस्तु स्थिति के आंकड़े जुटाना था। और इस जानलेवा सत्संग के गंभीर हादसे की तह तक जाकर जुम्मेदारों का खुलासा करना असली कार्य था जिससे जिम्मेवारों को सबक मिल सके। 


पूरे हादसे की खोज परक जानकारी के साथ ही साथ मीडिया को फिर यह भी देखना था कि क्या बाबा का असली रूप कुछ और तथा अनुयायियों के बीच में कुछ और तो नहीं था, अगर है तो फिर बात बन गई....!!! मीडिया को चाहिए था सूत्रों के जरिए जुटाई गये आंकड़ों पर शासन प्रशासन को अवगत कराते हुए आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रेरित करना।


*जिम्मेदार कौन जिला प्रशासन या आयोजन करता*


जिला प्रशासन को जिम्मेदारी से इसलिए मुक्त नहीं किया जा सकता क्योंकि प्रत्येक धरना, प्रदर्शन, रैली, सत्संग, इत्यादि कार्यों की सुरक्षा व्यवस्था में प्रशासन की जिम्मेदारी का मुख्य रोल होता है। इसीलिए इतनी बड़ी भीड़ पर संबंधित प्रशासन द्वारा निगरानी न किया जाना संदेह अथवा लापरवाही के घेरे में लाता है। और इसीलिए विभागीय अधिकारी तथा कर्मचारी अपनी - अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं। 


बताते चलें कि इस तरह के आयोजनों में पुलिस विभाग की बड़ी जिम्मेदारी होती है। हाथरस की घटना में हाथरस के एसएसपी सहित अन्य जुम्मेवार अधिकारी कर्मचारियों तथा स्थानीय आयोजको को इतने बड़े हादसे में हुई सैकड़ो मोतों के लिए कसूरवार ठहराते हुए दंड आवश्यक ही मिलना चाहिए।


भोले बाबा के सत्संग में आई अपार भीड़ का अनुमान स्थानीय आयोजकों को अवश्य ही रहा होगा। और उन्हें पहले से ही किसी भी हादसा से निपटने की पूर्ण तैयारी अपने स्वयं सेवकों के जरिए समय रहते कर लेनी चाहिए थी। इस लापरवाही के लिए आयोजन की अनुमति लेने से पूर्व आयोजको को दी गई अनुमति में किसी अनहोनी के लिए जिम्मेदार होने का उल्लेख अवश्य ही किया गया होगा। और इस अनुमति के आधार पर मनमानी के लिए आयोजनों को कठोर दंड से दंडित किया जाना चाहिए।


*सत्संग में भगदड़ मचने की घटना में मृत व्यक्तियों की संख्या 116 तक पहुची*


प्रशासनिक बयान बताया गया है कि पर इस घटना में करीब 116 मौतें हो चुकी है तथा 150 से अधिक मोतें होने का आंकड़ा पार हो सकता है।


एटा ,अलीगढ़,हाथरस, तीन जिलों के अस्पतालों ने भारी कोशिशो के जरिए तमाम घायल मरीजों को उपचार देकर स्वस्थ करते हुए उनके परिजनों के सुपुर्द किया गया है। भगदड़ में मरने वाले तमाम लोगों की अभी तक पहचान भी नहीं हो सकी है। 


पता चला है कि भोले बाबा सत्संग हेतु इस आयोजन में करीब 35 हजार लोगों की भीड़ एकत्रित हुई थी। इस भीड़ का हाथरस प्रशासन के किसी भी अधिकारी के पास कोई लेखा-जोखा तक नहीं है। कौन कहाँ से आया है। कहाँ रुका था.. कौन किसके साथ आया था.... बस भीड़ आई और सत्संग के उपरांत भोले बाबा की गाड़ी के टायरों की मिट्टी प्राप्त करने के लिए मौत का तांडव करने लगी........... इस तरह की भीड़ का आखिरकार कोई तो जिम्मेदार होगा ...... इस दौरान प्रशासन क्या मटरगश्ती में लग रहा? या जिम्मेदारी से बेफिक्र होकर लापरवाही का शिकार हो गया। 


*घटना स्थल पर मुख दर्शन बना रहा हाथरस का जिला प्रशासन*


भोले बाबा के इस सत्संग में घायल हुये लोगो का कहना है कि भगदड की वजह से जहां से सैकड़ों लोगों की मौत हो गई वहीं बहुत से लोग जख्मी भी हुए। लेकिन प्रशासन के पास घायलों को उपचार का कोई इंतजाम नहीं था। प्रशासन के अधिकारी मूकदर्शक बने खडे रहे... और लोग मरने को मजबूर होते रहे।


सत्संगियों पर मौत का कहर इस तरह बरपा की सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो देखकर आपका भी कलेजा काप जाएगा। चारों तरफ लाशों के ढेर मरने वालों और घायलों की रूह कपा देने वाली चीख - चिल्लाहट, लाशों पर रोने विलखने वालों का शोर, जो भी सुनेगा वह घटना के प्रत्यक्ष्यदर्शियों के बयान से डर जायेगा। यह सोचनीय विषय है कि उस भयाभय परिस्थिति के सामने कोई कैसे खड़ा रहा और उस मंजर को अपनी आँखों से देख रहा था।


*योगी बाबा ने शासन स्तर बड़े अधिकारी एवं मंत्री घटनास्थल पर भेजें*

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शासन स्तर से दो बडे अधिकारी व दो बड़े मंत्रियों को घटना स्थल व जिला हाथरस भेज दिया था। लेकिन यह चारों महानुभाव इस हृदय विदारक घटना पर सिर्फ बयान बाजी तक समिट जाएंगे, और कुछ भी नहीं कर सकते.... जिनको करना था बो मोनी बाबा बने रहे...... यह सवाल लाशों के दाह संस्कार के साथ ही खाक हो जाएगा।


*हाथरस के डीएम एसपी की घोर लापरवाही*


जनपद हाथरस के जिलाधिकारी तथा एसपी दोनों अधिकारी इस पूरे मामले पर पर मीडिया के सामने बोलते हुए अपने आप एवं अपने अधीनस्थों को बचाने का खेल खेलते रहे, और पूरे घटनाक्रम पर असफल दिखाई दिए 

हालांकि प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने पूरे घटनाक्रम की जांच कराए जाने का जिम्मा अपनी टीम के वरिष्ठ लोगों तथा अधिकारियों को सौंप दिया है। इतनी बड़ी घटना पर बाबा के चाबुक से बचपाना डीएम तथा एसएसपी हाथरस के लिए सातवें आसमान से तारे तोड़कर लाने जैसा साबुत होगा। 


आम जनमानस द्वारा अनुमान लगाया जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ जैसे तेज तर्रार मुख्यमंत्री की नजरों से संबंधित अधिकारी व कार्यक्रम के आयोजन कर्ता एवं भोले बाबा का बचपाना असंभव है।

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