श्रीनगर के लाल चौक पर शान से लहरा रहा है तिरंगान, हीं चलेगा एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को भाजपा ने किया साकार - निर्भय सक्सेना
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*विशन पाल सिंह चौहान प्रधान संपादक अलार्म इण्डिया न्यूज*
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बरेली। कश्मीर के श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने की हिम्मत करने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 6 जुलाई को जयंती थी । बरेली में भाजपा ने पार्टी कार्यालय में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की उपस्थिति में श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जयंती कार्यक्रम की जगह बलिदान दिवस मना कर आज एक भूल भी कर दी।
केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के उस सपने को साकार कर दिया जिसमे वह जम्मू - कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ही कश्मीर को लेकर एक नारा दिया था = “नहीं चलेगा एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान”। आज श्यामा प्रसाद मुखर्जी भले ही जीवित नहीं हो पर स्मार्ट सिटी श्रीनगर के लाल चौक पर आज भी तिरंगा शान से लहरा रहा है।
कश्मीर के श्रीनगर का लाल चौक पर अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले भारतीय तिरंगा झंडा फहराने की बात हमेशा भाजपा में होती रहती थी। लेकिन 26 जनवरी 1992 को गणतंत्र दिवस के मौक़े पर भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी आदि की अगुवाई में हवाई जहाज से कश्मीर के श्रीनगर के लाल चौक पर जाकर भारतीय तिरंगा झंडा फहराया गया था।
भाजपा ने इसके लिए दिसंबर 1991 में कन्याकुमारी से कश्मीर तक की 'एकता यात्रा' की शुरुआत की थी। जो कई राज्यों से होते हुए कश्मीर पहुंची थी। मुरली मनोहर जोशी के साथ उस समय नरेंद्र मोदी भी थे।
बीते 1 जुलाई 2024 को नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट इंडिया यू पी से जुड़े उपजा प्रेस क्लब के मीडिया साथियों के साथ अमरनाथ की यात्रा के बीच में श्रीनगर में रुककर मैने भी लाल चौक का भ्रमण करके लोगो के विचार जाने। वहां मिले लखनऊ हाई कोर्ट के एडवोकेट शुक्ला जी का कहना था कि यह भाजपा के कारण ही लाल चौक अब स्मार्ट भ्रमण स्थल बन गया है । अन्यथा बीते सालों में यहां से पत्थरबाजी के समाचार ही सामने आते थे। यहां पर चाय की दुकान वाले ने कहा अब यहां शांत माहौल है बरना कब उग्रवादी लाल चौक में बाजार बंद की अपील कर दें। हर माह कई कई बार दुकान बंद करनी पड़ती थी। लाल चौक पर हमारे साथी पुत्तन सक्सेना, महेश पटेल, अशोक शर्मा उर्फ लोटा, विवेक मिश्र, अशोक शर्मा जी ने भी कई फोटो खींचे।
विकिलीपीड़िया के प्राप्त जानकारी के अनुसार देश की संसद में अपने भाषण में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत भी की थी। अगस्त 1952 में जम्मू कश्मीर की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि ''या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊंगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूंगा''। डॉ. मुखर्जी अपने संकल्प को पूरा करने के लिये 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू - कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े थे। कश्मीर में पहुंचते ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी को वहां के प्रशासन के आदेश पर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। 23 जून 1953 को जेल में रहस्यमय परिस्थितियों में मुखर्जी की मृत्यु हो गयी थी।
जेल में उनकी मृत्यु ने देशवासियों को हिलाकर रख दिया और कश्मीर में परमिट सिस्टम समाप्त हो गया। उन्होंने कश्मीर को लेकर एक नारा दिया था,“नहीं चलेगा एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान”
श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। इनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बंगाल में एक शिक्षाविद् और बुद्धिजीवी के रूप में प्रसिद्ध थे। कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक होने के पश्चात श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1923 में सेनेट के सदस्य बने। अपने पिता की मृत्यु के पश्चात, 1924 में उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया। 1926 में उन्होंने इंग्लैंड के लिए प्रस्थान किया जहां लिंकन्स इन से 1927 में बैरिस्टर की परीक्षा उत्तीर्ण की। 33 वर्ष की आयु में कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त हुए और विश्व का सबसे युवा कुलपति होने का सम्मान प्राप्त किया।
श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1938 तक इस कुलपति पद पर रहे। अपने कार्यकाल में उन्होंने अनेक रचनात्मक सुधार किये तथा इस दौरान 'कोर्ट एंड काउंसिल ऑफ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बैंगलोर' तथा इंटर यूनिवर्सिटी बोर्ड के सक्रिय सदस्य भी रहे।
कांग्रेस प्रत्याशी और कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि के रूप में श्यामा प्रसाद मुखर्जी को बंगाल विधान परिषद का सदस्य चुना गया किन्तु कांग्रेस द्वारा विधायिका के बहिष्कार का निर्णय लेने के पश्चात उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। बाद में डॉ. मुखर्जी स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और विजय हासिल की।
प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें अंतरिम सरकार में उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में शामिल किया। नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली के बीच हुए समझौते के पश्चात 6 अप्रैल 1950 को श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर - संघ चालक गुरु गोलवलकर जी से परामर्श लेकर श्री मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 को राष्ट्रीय जनसंघ की स्थापना की। 1951- 1952 के आम चुनावों में राष्ट्रीय जनसंघ के तीन सांसद चुने गए जिनमें एक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी थे। तत्पश्चात उन्होंने संसद के अन्दर 32 लोकसभा और 10 राज्यसभा सांसदों के सहयोग से नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया।
डॉ. मुखर्जी भारत की अखंडता और कश्मीर के विलय के दृढ़ समर्थक थे। उन्होंने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को भारत के बाल्कनीकरण की संज्ञा दी थी। अनुच्छेद 370 के राष्ट्रघातक प्रावधानों को हटाने के लिए भारतीय जनसंघ ने हिन्दू महासभा और रामराज्य परिषद के साथ सत्याग्रह आरंभ किया। डॉ. मुखर्जी 11 मई 1953 को कुख्यात परमिट सिस्टम का उलंघन करके कश्मीर में प्रवेश करते हुए गिरफ्तार कर लिए गए। गिरफ्तारी के दौरान ही विषम परिस्थितियों में 23 जून, 1953 को उनका स्वर्गवास हो गया।
एक दक्ष राजनीतिज्ञ, विद्वान और स्पष्टवादी के रूप में वे अपने मित्रों और शत्रुओं द्वारा सामान रूप से सम्मानित थे। एक महान देशभक्त और संसद शिष्ट के रूप में भारत उन्हें सम्मान के साथ याद करता है। स्मरण रहे 11 दिसंबर 2022 को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को बरकरार रखने से काफी राहत मिली थी । चीफ जस्टिस आफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं। इसकी कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है।
स्मरण रहे 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रभाव को खत्म कर दिया था। साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। यही नहीं दोनों राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश भी बना दिया था। केंद्र के इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 अर्जियां दी गई थीं, सभी को सुनने के बाद सितंबर में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था ।
धारा 370 हटने के 4 साल, 4 महीने, 6 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने फैसला सुनाया।
कश्मीर के श्रीनगर का लाल चौक, जहां अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले भारतीय तिरंगा झंडा फहराने की बात हमेशा होती रहती थी।
लेकिन 26 जनवरी 1992 को गणतंत्र दिवस के मौक़े पर भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई में कश्मीर के लाल चौक पर भाजपा ने भारतीय झंडा फहराया था।
*निर्भय सक्सेना मोबाइल 9411005249*
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