Tirupati Temple Prasad: भारत में टूथपेस्ट से लेकर मंदिर के प्रसाद तक मिलावट! चीन और जापान में मौत की सजा, भारत में क्यों नहीं?

 


अलार्म इण्डिया न्यूज

भारत में मिलावट अब एक गंभीर समस्या बन चुकी है। एक समय था जब कहा जाता था कि भारत में दूध और घी की नदियां बहती थीं। लेकिन आज के समय में दूध, घी और यहां तक कि टूथपेस्ट जैसे छोटे-मोटे उत्पादों में भी मिलावट आम हो चुकी है। मौजूदा समय में सबसे बड़ा विवाद आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर का है, जहां प्रसाद के लड्डुओं में मिलावट की खबर ने सबको चौंका दिया है। इन लड्डुओं में नकली घी और जानवरों की चर्बी मिलाए जाने की बात सामने आई है। इस घटना के बाद लोगों में काफी आक्रोश है।

भारत और पड़ोसी देशों के कानूनों में अंतर

चीन-जापान में मौत की सजा

इंग्लैंड का पहला खाद्य कानून

भारत में कानून और सजा

तिरुपति मंदिर का विवाद

मिलावट के खिलाफ कड़ा रुख जरूरी

चौंकाने वाली बात यह है कि हमारे पड़ोसी देशों में मिलावट को लेकर बेहद सख्त कानून हैं। चीन और जापान जैसे देशों में मिलावट करने वालों को मौत की सजा तक दी जाती है। इसी वजह से वहां मिलावट करने की हिम्मत बहुत कम लोग करते हैं, क्योंकि सजा का डर होता है। भारत में, हालांकि, कानूनों में सख्ती है लेकिन सजा देने में उतनी गंभीरता नहीं दिखती।

*चीन-जापान में मौत की सजा*

2009 में चीन में ज़ांग युजुन और गेंग ज़िनपिंग को दूध पाउडर में विषैले पदार्थ मिलाने के कारण मौत की सजा दी गई थी। इस मिलावट के कारण चीन में 6 नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी और 3 लाख से अधिक लोग बीमार पड़ गए थे। इसके बाद चीन ने मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की। इसी तरह, जापान और अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी मिलावट के लिए कठोर सजा का प्रावधान है, जिसमें मौत की सजा भी शामिल है।

*इंग्लैंड का पहला खाद्य कानून*

खाद्य सुरक्षा के कानूनों की बात करें तो इंग्लैंड में 1202 में सबसे पहले ‘असाइज़ ऑफ़ ब्रेड’ कानून लाया गया था। इसमें ब्रेड में पिसी हुई मटर और बीन्स जैसी चीजों की मिलावट को प्रतिबंधित किया गया था। इसके बाद से ही खाद्य पदार्थों में मिलावट को लेकर कड़े कानून बनाए जाते रहे हैं। अमेरिका में भी औपनिवेशिक काल से ही खाद्य सुरक्षा पर ध्यान दिया गया है।

*भारत में कानून और सजा*

भारत में मिलावट करने वालों के लिए कई राज्यों ने सख्त कानून बनाए हैं। इसमें न्यूनतम 6 महीने की जेल और अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। लेकिन, वास्तविकता यह है कि आज तक किसी को मिलावट के कारण उम्रकैद की सजा नहीं हुई है। मिलावट के मामलों में सख्त कानून होने के बावजूद कार्रवाई में कमी देखी जाती है, जिससे मिलावटखोरों का हौसला बढ़ा हुआ है।

*तिरुपति मंदिर का विवाद*

आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में जो लड्डू श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं, उनमें मिलावट की खबर ने हड़कंप मचा दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन लड्डुओं में इस्तेमाल किए जाने वाले घी में 3 अलग-अलग प्रकार की जानवरों की चर्बी मिली है। बताया जा रहा है कि घी में भैंस की चर्बी, मछली का तेल और सूअर की चर्बी मिलाई गई है। यह मामला सामने आने के बाद श्रद्धालुओं में नाराजगी और आशंका पैदा हो गई है।

*मिलावट के खिलाफ कड़ा रुख जरूरी*

भारत में मिलावट का यह मामला केवल तिरुपति मंदिर तक सीमित नहीं है। हमें मिलावट के खिलाफ कड़े कदम उठाने की जरूरत है, ताकि जनता को शुद्ध और सुरक्षित खाद्य पदार्थ मिल सकें। पड़ोसी देशों की तरह हमें भी मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान करना चाहिए, ताकि इस समस्या पर काबू पाया जा सके। (साभार - टॉकआज मीडिया)

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